नवरात्रि माता के,
आए नवराते माता के बड़ी धूम मची है,
हर घर में माता की ज्योति जली है।
पान सुपारी ध्वजा नारियल,
सुन्दर कलश सुहावन,
देखो माँ की चौकी सजी हैं।
माँ को सुहागन सोलह श्रंगार चढ़ाए,
अपना सौभाग्य जगाए,
देखो ध्वजा नारियल की भेंट चढ़ी है।
न चाहें माँ छप्पन भोग,
होती प्रसन्न भावों से दे जो,
हलुआ पूड़ी से माँ जिमी है।
माँग टीका बेसर चूड़ी,
करधन पायल महावर गहरी,
लाल चुनरी में माँ सजी है।
देखो हर घर में मां का कीर्तन,
अमीर गरीब सब करें दर्शन,
बिना भेद के सबका उद्धार करती ममतामयी है।
यूं तो रहती मईया ऊंचे पर्वत,
दौड़ी आती जब भी पुकारे भक्त,
आके सबके कष्ट हरति एकपल देर न करी है।
ऐसी ही दया करना मईया,
सबकी झोली भरना मईया,
तोड़ना न कभी जो मैने मईया आस धरी है।